हमारा लक्ष्य Our Mission

Om

एक एसा संगठन खासतौर पर आदि गौड़ ब्राह्मण समाज को लेकर तैयार करना जो सामाजिक विघटन और असमानता की समस्याओं को समाप्त करने के लिए प्रयास करे. नोजवानों में वेदों और भारतीय संस्कृति के मूल्यों को संग्राहित करना जिससे उनका विश्वास अडिग रहे तथा उनको एसा वातावरण और संसाधन उपलब्ध कराना जो सन्मानपूर्वक जीवन जीने और उन्नति में सहायक हो.
Unite people particularly from the Aadi Gaur Brahmin Community to resolve problem of social divide and discrimination on account of differences in financial and professional status. Precipitate values of Vedas and Indian Culture among young generation for sustaining their confidence and provding a conducing environment to excel in life with pride.

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कैसे मनाएं जन्म दिन? How to celebrate Birthday?

Birthday

जन्मदिन (Birthday) को वैदिक विधी के अनुसार कैसे मनाया जाए, यह एक अनसुलझा प्रश्न है. वेदों के पाठन में बहुत से उद्दहरण मिलते हैं जिनसे यह पता चलता है कि जन्म दिन का महत्व ज्यादातर देवों, महानायकों और शाशकों तक ही सीमित रहा है. ज्योतिष में वर्षफल निकालने हेतु बहुत ही कारगर विधि है जिसके अनुसार वर्ष में घटित होने वाली घटनाओं की भविष्य वाणी की जाती है तथा जातक को पूरे वर्ष का सदुपयोग करने हेतु उचित सलाह दी जाती है.


प्रासंगिक लेख:सामूहिक विवाह सम्मेलन और समाजोत्थान

vivah विवाह केवल एक पवित्र बंधन ही नहीं, अपितु दो आत्माओं का मिलन होता है. वर्तमान समय में मिलन कराने की जो परम्परा स्थापित है उसकी विवेचना करने की जरुरत है. दहेज प्रथा के कारण योग्य वर-वधु मिलना कठिन हो रहा है. विवाह आयोजनों में दहेज, दिखावा और अपव्यव की समस्या भयाभव रूप में सामने है धनी वर्ग सम्बन्ध तय करने से लेकर विवाह के पश्चात तक अनाप सनाप अपव्यय कर अपनी धन शक्ति का ओछा प्रदर्शन कर समाज के सामने जटिल समस्याएं उत्पन्न कर रहा है.

आदिगौड़ ब्राह्मण कौन हैं?

संस्कृत पुस्तक आदिगौड़ दीपिका के अनुसार गण्डकी नदी के पश्चिम में वो क्षेत्र जो सरयू नदी तथा उत्तर में हिमालय से घिरा हुआ है उसको गौड देश से जाना जाता था और जो ब्राह्मण इस क्षेत्र में सृष्टी के प्रारंभ से रहते थे उनको आदिगौड़ से जाना जाता है. एक अन्य किवदंती के अनुसार भगवान राम के अश्वमेघ यज्ञ में कुछ ऋषियों ने सीता माता के निष्काशन को लेकर सामिल होने से इंकार कर दिया था. वे बाद में राजभय से गौड़ देश में आकर बस गए और अन्य मनुष्यों की तरह जीवन यापन करने लगे. इन्ही के वंसज (ऋषि पुत्र) आदिगौड़ ब्राह्मण कहलाये.

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